नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है। - गोपाललाल खत्री।
 
समंदर की उम्र (काव्य)       
Author:अशोक चक्रधर | Ashok Chakradhar

लहर ने
समंदर से
उसकी उम्र पूछी,
समंदर मुस्करा दिया।

लेकिन जब
बूँद ने
लहर से
उसकी उम्र पूछी
तो
लहर बिगड़ गई
कुढ़ गई
चिढ़ गई
बूँद के
ऊपर ही
चढ़ गई...और. . .
इस तरह
मर गई!

बूँद समंदर में समा गई
और. . .
समंदर की उम्र
बढ़ा गई!

- अशोक चक्रधर
[सोची-समझी, प्रतिभा प्रतिष्ठान, नई दिल्ली]

 

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश