Warning: session_start(): open(/tmp/sess_e08021207c49f62330b15a677465d618, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details_amp.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details_amp.php on line 1
 मेरी कविता - कमला प्रसाद मिश्र की कविता | Poem by Kamla Prasad Mishra, Rashtra Kavi of Fiji
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।
 
मेरी कविता  (काव्य)       
Author:कमला प्रसाद मिश्र | फीजी | Kamla Prasad Mishra

मैं अपनी कविता जब पढ़ता उर में उठने लगती पीड़ा
मेरे सुप्त हृदय को जैसे स्मृतियों ने है सहसा चीरा

उर में उठती एक वेदना
होने लगती सुप्त चेतना

फिर अतीत साकार प्रकट हो उर में करने लगता क्रीडा
मैं अपनी कविता जब पढ़ता उर में उठने लगती पीड़ा

मैं अपने में खो जाता हूँ
एक स्वप्न में सो जाता हूँ

मीरा दिखलायी देती है मुझको 'प्रेम-नदी के तीरा'
मैं अपनी कविता जब पढ़ता उर में उठने लगती पीड़ा ।

- कमला प्रसाद मिश्र [फीजी के राष्ट्रीय कवि]

 

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश