Warning: session_start(): open(/tmp/sess_08d5c11fdb33bec1346e258d9bcbe363, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details_amp.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details_amp.php on line 1
 आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
 
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ  (काव्य)       
Author:हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ

है कहाँ वह आग जो मुझको जलाए,
है कहाँ वह ज्वाल मेरे पास आए,

रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ,
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।

तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,
नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी,

आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ,
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।

मैं तपोमय ज्योति की, पर, प्यास मुझको,
है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको,

स्नेह की दो बूँद भी तो तुम गिराओ,
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।

कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूँगा,
कल प्रलय की आँधियों से मैं लडूँगा,

किंतु मुझको आज आँचल से बचाओ,
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।

- डॉ. हरिवंशराय बच्चन

 

 

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश