Warning: session_start(): open(/tmp/sess_6fa6832ca73c11d9b9abca3b747585a5, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details_amp.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details_amp.php on line 1
 सुनीता शर्मा के हाइकु | Hindi Haiku by Sunita Sharma
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
 
सुनीता शर्मा के हाइकु (काव्य)       
Author:डॉ सुनीता शर्मा | न्यूज़ीलैंड

भाव ही भाव
आजकल आ-भा-व
है कहीं कहां

नजरों से यूँ
होता कत्ले आम
अब आम है

हरसिंगार
से चेहरे मेरे मोती
उसके फूल

नेता तेरे ही
नाम -चोरी- घोटाला
भ्रष्टाचार

चांदनी रात
निस्तब्ध- सोए -ओढे
मौत - कफन

बादल कहें
कहानी कहीं सूखा
तो कहीं पानी

खारे जल का
क्या मोल फैला क्यों
यूं चारों ओर

यू पंगु बन
टीवी से जा चिपका
है बचपन

बोने दिलों की
मार- है -बोनसाई
की - भरमार

देश में दूध
घी -नहीं अब - रक्त
नदियां बहें

आधे - अधूरे
लोग -शहर - दौड़
बसे आगे

खून - पानी हो
गया, पानी-महंगा
तो होना ही था

राजनीति का
खेल यूँ चूहा - दौड़
बिल्ली आई

चकाचौंध -यूं
शहर -खुली -आंख
ही मुंद जाए

जीवन आशा
का दीप आंधी मैं भी
जो ना बुझे

दुख - सच्चा
मित्र छाया सा कभी
साथ ना छोड़े

सुख- धोखा दे
के भाग जाने वाला
झूठा जो प्रेमी

लोगों से भरे
बाजार खाली बैठे
दुकानदार

गंध की पीड़ा
फूल पर मरते
लोग न जाने

आदमीयत
क्या कहना पशुता,
शरमा गई

सावन झड़ी
बरसे -आंखें- मेघ
फिर भी प्यासी

जहाज मन
व्हेल टापू ना कहीं
निगल जाए

मां बुनती है
रात -दिन -अधूरा
एक स्वेटर

गांव का चंदा -
मामा बूढ़ा हो ऊँची
इमारतों - छिपा

किस्मत से भी
ज्यादा रुलाया लोगों
के तानों ने

शोक मनाने
नहीं, दुख - तमाशा
देखते लोग

-सुनीता शर्मा
 ऑकलैंड, न्यूज़ीलैंड
 ई-मेल: adorable_sunita@hotmail.com

 

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश