नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है। - गोपाललाल खत्री।
 
दिविक रमेश जन्म दिवस | 28 अगस्त
   
 

28 अगस्त को हिंदी साहित्यकार डॉ दिविक रमेश का जन्म दिवस है।  आपका जन्म 1946 में  किराड़ी, दिल्ली में हुआ था। आप कविता, बाल-साहित्य, शोध एवं आलोचना के लिए जाने जाते हैं।

 

आपकी पुस्तक 'माँ गांव में है' बहुत चर्चित रही है। लीजिए, आज उनकी यह बहुचर्चित कृति पढ़ते हैं:

 

माँ गांव में है

चाहता था
आ बसे माँ भी
यहाँ, इस शहर में।

पर माँ चाहती थी
आए गाँव भी थोड़ा साथ में
जो न शहर को मंजूर था न मुझे ही।

न आ सका गाँव
न आ सकी माँ ही
शहर में।

और गाँव
मैं क्या करता जाकर!

पर देखता हूँ
कुछ गाँव तो आज भी ज़रूर है
देह के किसी भीतरी भाग में
इधर उधर छिटका, थोड़ा थोड़ा चिपका।

माँ आती
बिना किए घोषणा
तो थोड़ा बहुत ही सही
गाँव तो आता ही न
शहर में।

पर कैसे आता वह खुला खुला दालान, आंगन
जहाँ बैठ चारपाई पर
माँ बतियाती है
भीत के उस ओर खड़ी चाची से, बहुओं से।
करवाती है मालिश
पड़ोस की रामवती से।
सुस्ता लेती हैं जहाँ
धूप का सबसे खूबसूरत रूप ओढ़कर
किसी लोक गीत की ओट में।

आने को तो
कहाँ आ पाती हैं वे चर्चाएँ भी
जिनमें आज भी मौजूद हैं खेत, पैर, कुएँ और धान्ने।
बावजूद कट जाने के कॉलोनियाँ
खड़ी हैं जो कतार में अगले चुनाव की
नियमित होने को।

और वे तमाम पेड़ भी
जिनके पास
आज भी इतिहास है
अपनी छायाओं के।


- डॉ दिविक रमेश

 

[ डॉ दिविक रमेश का जीवन परिचय व अन्य रचनाएं यहाँ पढ़ें]

 

 
 
 
 

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