मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
नववर्ष पर.. (काव्य)  Click to print this content  
Author:अमिता शर्मा

नव उमंग दो नव तरंग दो
नव उत्साह दो नव प्रवाह दो
शुभ संकल्पों से सुवासित
जीवन में जीवन भर दो ।

पावनता से अभि सिंचित हो
जीवन बगिया का हरपल प्रमुदित
कुछ जीवट हो कुछ हो उमंग

जीवन की डगमग नैया को
तुम आज अभय वर दो!

- अमिता शर्मा

 

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