मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
आज का आदमी | सुशांत सुप्रिय की कविता (काव्य)    Print this  
Author:सुशांत सुप्रिय

मैं ढाई हाथ का आदमी हूँ
मेरा ढाई मील का ' ईगो ' है
मेरा ढाई इंच का दिल है
दिल पर ढाई मन का बोझ है

- सुशांत सुप्रिय
 मार्फ़त श्री एच.बी. सिन्हा
 5174 , श्यामलाल बिल्डिंग ,
 बसंत रोड,( निकट पहाड़गंज ) ,
 नई दिल्ली - 110055
मो: 9868511282 / 8512070086
ई-मेल : sushant1968@gmail.com

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