उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
बिहारी के होली दोहे (काव्य)    Print this  
Author:बिहारी | Bihari

होली पर बिहारी के कुछ दोहे

उड़ि गुलाल घूँघर भई तनि रह्यो लाल बितान।
चौरी चारु निकुंजनमें ब्याह फाग सुखदान॥

फूलनके सिर सेहरा, फाग रंग रँगे बेस।
भाँवरहीमें दौड़ते, लै गति सुलभ सुदेस॥

भीण्यो केसर रंगसूँ लगे अरुन पट पीत।
डालै चाँचा चौकमें गहि बहियाँ दोउ मीत॥

रच्यौ रँगीली रैनमें, होरीके बिच ब्याह।
बनी बिहारन रसमयी रसिक बिहारी नाह॥

- बिहारी

 

Previous Page  |  Index Page
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश