मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
संदेश  (काव्य)    Print this  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

मुझे याद है वह संदेश -
'बुरा न सुनो, बुरा न कहो, बुरा न देखो!'

लेकिन...उनके कुकृत्य देख
कैसे अनदेखा करूं?

कोई 'निर्भया' पुकारे
तो
क्या अनसुना करुं?

जब अतिक्रमण हो, 
उत्पीड़न हो,
और.... 
'तुम्हारा कहा' भी गांठ बंधा हो, पर
फिर भी... 

तुम ही कहो
कैसे मौन रहूं?

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

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