जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।
बैंक ऑफ़ बड़ौदा न्यूज़ीलैंड ने आयोजित किया विश्व हिंदी-दिवस (विविध)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन समाचार

जनवरी 9, 2015 (ऑकलैंड):  बैंक ऑफ़ बड़ौदा न्यूज़ीलैंड, न्यूज़ीलैंड ने अपनी मुख्य शाखा में विश्व हिंदी-दिवस का आयोजन किया।

इस अवसर पर भारत-दर्शन के संपादक रोहित कुमार 'हैप्पी' मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम का संचालन बैंक ऑफ़ बड़ौदा, न्यूज़ीलैंड के श्री रजनीश अरोड़ा ने किया। उन्होंने विश्व-हिंदी सम्मेलन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए सभी उपस्थित लोगों को 'विश्व हिंदी-दिवस' व इसकी महत्ता से अवगत करवाया। 

बैंक ऑफ़ बड़ौदा, न्यूज़ीलैंड के प्रबंध निदेशक श्री प्रह्लाद दास गुप्ता ने पुष्प-गुच्छ प्रदान करके मुख्य अतिथि का स्वागत किया व तदोपरांत 'विश्व हिंदी-दिवस' पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश मनोज तिवारी ने पढ़कर सुनाया। बैंक ऑफ़ बड़ौदा के विभिन्न कर्मचारियों ने हिंदी कविताएं पढ़ी। बैंक के प्रबंध-निदेशक, प्रह्लाद दास गुप्ता ने 'रामधारीसिंह दिनकर' की सुप्रसिद्ध कविता, 'कृष्ण की चेतावनी' पढ़ी:

"वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।"

इस अवसर पर सोहनलाल द्विवेदी, हरिवंशराय व अन्य कवियों की कविताओं का पाठ हुआ।

अंत में रोहित कुमार 'हैप्पी' ने बैंक ऑफ बड़ोदा द्वारा 'विश्व हिंदी दिवस' के आयोजन को एक सराहनीय कदम बताया। उन्होंने निस्वार्थ भाव से हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार करने पर बल देते हुए कहा कि व्यक्ति के जन्म का उद्देश्य केवल 'रोटी-कपड़ा और मकान' तक ही सिमट कर नहीं रह जाना चाहिए, जीवन इससे कहीं अधिक मायने रखता है। जीवन-दर्शन को 'अकबर इलाहाबादी' के इस शेर से व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा -

"ज़िंदगी में शेख क्या कारे-नुमायां कर गए
बी.ए की, नौकर हुए, पेंशन लगी और मर गए"

अपनी और 'भारत-दर्शन की पिछले 17-18 बरस की यात्रा का जिक्र आने पर उन्होंने कहा -

"मैं सोचता नहीं हूँ बहुत घाटे-मुनाफ़े
ज़िंदगी की मैंने की दुकान नहीं है!"

अंत में ऑकलैंड शाखा के प्रबंधक अमित बारुआ ने धन्यवाद देते हुए 'विश्व हिंदी-दिवस' का समापन किया।


Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश