उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
यह भारतवर्ष हमारा है (काव्य)  Click to print this content  
Author:अमित अहलावत

मैं गर्व से यारों कहता हूँ, यह भारतवर्ष हमारा है

बना हुआ है दिल की धड़कन, सबकी आँखों का तारा है
अजब गजब यह देश निराला, ये जहाँ में सबसे प्यारा है
प्रेम सदभाव से खुदको जिसने, विश्व में ऊँचा उभारा है
मैं गर्व से यारों कहता हूँ, वह भारतवर्ष हमारा है

ना हिन्दू ना मुस्लिम कोई, ना कोई सिख ईसाई है
हम सब हैं यहाँ हिंदुस्तानी, ये बात हमें सिखलायी है
रंग रुप और जात पात से, यहाँ ऊँचा बड़ा भाईचारा है
वैसुधैव कुटुम्ब्कम का, यहाँ पाठ दिलों में उतारा है
मैं गर्व से यारों कहता हूँ, वह भारतवर्ष हमारा है

बाइबल गीता वेद कुरान, सबसे ही नाता प्यारा है
होली ईद दिवाली क्रिसमस, यहाँ हर त्यौहार हमारा हैं
आरती अज़ान गुरबानी से, होता यहाँ हर उजयारा है
ईश्वर अल्लाह गुरु ईसा, सबका की जहाँ पे सहारा है
मैं गर्व से यारों कहता हूँ, वह भारतवर्ष हमारा है

सभय्ता संस्कृति जिसकी, दुनियाँ में सबसे पुरानी है
योग खगोल तंत्र मन्त्र सब, ऋषि मुनियों की जुबानी है
आधुनिक जिन खोजों पर, नासा इतना इतराता है
हम सब को यह पहले से ही, सूर्यसिद्धान्त बतलाता है

गनित साहित्य कला विज्ञान, आयुर्वेद जहाँ का न्यारा है
कृषि में हैं अव्वल हम, हर क्षेत्र में नाम हमारा है
आज भले ही इस दुनिया में, बना डॉलर पौंड दुलारा है
जीरो से ऊपर इस दुनिया को, आर्यभट ने जहाँ उबारा है
मैं गर्व से यारों कहता हूँ, वह भारतवर्ष हमारा है

मस्तक में हिमराज विराजे, चरणों में सागर सारा है
सीने में कल कल अमृत रुपी, बहती गंगा की धारा है
पूरब में है सूर्य मंदिर, पश्चिम में विनायक सहारा है
दक्षिण में है सागर संगम, उत्तर में स्वर्ण गुरुद्वारा है

कहीं चटकती गर्मी है, कहीं बारिश का फव्वारा है
कभी कड़कती सर्दी है, कभी बसन्त बहुत ही प्यारा है
पर्वत नदियाँ झील पठार, रेगिस्तान जहाँ का न्यारा है
प्रकृति सम्राट विविध विराट, यह भूलोक का गौरव प्यारा है
मैं गर्व से यारों कहता हूँ, यह भारतवर्ष हमारा है

जब जब इस धरती पर छाया, पापों का गहन अंधयारा है
राम कृष्ण का लेकर रुप, प्रभु ने खुद को यहाँ उतारा है
विवेकानन्द और गौतम बुद्ध ने, नानक ने जिसे सँवारा है
वह देवों का महापुरषों का, यह स्वर्ग धरा पे न्यारा है

गांधी भगत आजाद सुभाष, मंगल बिस्मिल का प्यारा है
वन्दे मातरम कहते कहते, प्राणों को जिन्होंने वारा है
वीर शिवाजी महाराणा ने, दुश्मन को यहाँ ललकारा है
बिन आँखों के भी पृथ्वी ने, जहाँ तीर गौरी को मारा है
मैं गर्व से यारों कहता हूँ, वह भारतवर्ष हमारा है

माँ सीता का धैर्य यहाँ, मीरा सी भक्त दिवानी है
पदमनी का जौहर है, यहाँ पन्ना की बलिदानी है
सावित्री के तप के सत को, जहाँ यम ने भी स्वीकारा है
बाँध कमर बेटा रानी ने, दुश्मन को जहाँ पछाड़ा है
मैं गर्व से यारों कहता हूँ, वह भारतवर्ष हमारा है

लोकतन्त्र है सेना है, परमाणु सशक्त हथियार हैं
फिर भी तानाशाही से हमने, किया ना किसी पे वार है
दया क्षमा और सत्य अहिंसा, रहे मूलमन्त्र हथियार हैं
पर जान वतन पर देने को हम, रहते सदा तैयार हैं

दुनिया के हर वंचित को, प्रसनचित दिया सहारा है
अथिति देवो भव: का नारा, जहाँ खुला घरद्वार हमारा है
हाथ जोड़ कर दें सम्मान, संस्कारों का वो हम पिटारा है
पर देशद्रोही और शत्रु के लिये, हम ज्वालामुखी अंगारा हैं

जिस सोने की चिड़िया को, अंग्रेजों ने छल से उजाड़ा है
अपनी मेहनत के दम पर उसको, फिरसे हमने सँवारा है
जो कल का चमकता तारा था, वो फिर से चमकने जारा है
विश्व पटल पर होने वाला, अब भारत का जयकारा है
मैं गर्व से यारों कहता हूँ, यह भारतवर्ष हमारा है

है कुछ इसमें खामी जो, बस पाना उनसे छुटकारा है
भ्रष्ट्राचारी और ग़द्दारों को, करना बाहर का इशारा है
गाँधी बाबा एपीजे का, सपना ये सबसे प्यारा है
सारी दुनिया पर लहराये, तिरंगा जो शान हमारा है
मैं गर्व से यारों कहता हूँ, यह भारतवर्ष हमारा है

प्रेम सदभाव से खुदको जिसने, विश्व में ऊँचा उभारा है
मैं गर्व से यारों कहता हूँ, वह भारतवर्ष हमारा है

वह भारत देश हमारा है, वह भारत खण्ड हमारा है
वह आर्यव्रत हमारा है, वह जम्बूद्वीप हमारा है
वह हिन्दुस्तान हमारा है, जो जान से हमको प्यारा है

-अमित अहलावत, सुवा  फीजी

 

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