मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।

हिंदी

 (कथा-कहानी) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

हिंदी के कवियों, लेखकों व साहित्यकारों का समारोह चल रहा था। बाहर मेज पर एक पंजीकरण-पुस्तिका रखी थी। जो भी आता उसे उस पुस्तिका में हस्ताक्षर करने थे। सभी आगंतुक ऐसा कर रहे थे। मैं भी पंक्ति में खड़ा था। अपना नम्बर आने पर मैं हस्ताक्षर करने लगा तो पुस्तिका में दर्ज सैंकड़ों हिंदी कवियों, लेखकों व साहित्याकारों के हस्ताक्षरों पर मेरी दृष्टि पड़ी - एक भी हस्ताक्षर हिंदी में नहीं था। हिंदी में रचना करने वाले कवियों, लेखकों व साहित्यकारों का यह कर्म मेरी समझ से परे था।

 

 

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