वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके। - पीर मुहम्मद मूनिस।

तीन कवयित्रियां

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 काका हाथरसी | Kaka Hathrasi

कवि सम्मेलन के मंच पर कल रात,
तीन कवयित्रियां कर रहीं थी बात।

पहली बोली :
"हमारे विवाह में दिल्ली बैंड आया था।"

दूसरी ने कहा :
"मेरी शादी में आगरा बैंड आया था।"

तीसरी कुमारी मुस्काई :
"मेरी मैरिज में तो 'हसबैंड' आयेगा।"

-काका हाथरसी

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश