मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।

आ: धरती कितना देती है

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 सुमित्रानंदन पंत | Sumitranandan Pant

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