जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।

पहाड़े

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

आपके और मेरे
पहाड़े भिन्न हैं।
आपके लिए--
दो दूनी
चार।

मेरे लिए--
दो दूनी
का मतलब
केवल प्यार।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'
   ई-मेल: editor@bharatdarshan.co.nz

 

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