उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।

अपनी भाषा

 (बाल-साहित्य ) 
Print this  
रचनाकार:

 मैथिलीशरण गुप्त | Mathilishran Gupt

करो अपनी भाषा पर प्यार।
जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार।।

जिसमें पुत्र पिता कहता है, पत्नी प्राणाधार,
और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार।
बढ़ाओ बस उसका विस्तार।
करो अपनी भाषा पर प्यार।।

भाषा बिना व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान,
सब दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान।
असंख्यक हैं इसके उपकार।
करो अपनी भाषा पर प्यार।।

यही पूर्वजों का देती है तुमको ज्ञान-प्रसाद,
और तुम्हारा भी भविष्य को देगी शुभ संवाद।
बनाओ इसे गले का हार।
करो अपनी भाषा पर प्यार।।

-मैथिलीशरण गुप्त

 

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश