समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है। - जनार्दनप्रसाद झा 'द्विज'।

शहीद पूछते हैं

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

भोग रहे जो आज आज़ादी
किसने तुम्हें दिलाई थी?
चूमे थे फाँसी के फंदे,
किसने गोली खाई थी?

बलिवेदी को शीश दिया था
मौत से रची सगाई थी।
क्या ‘ऐसी आज़ादी' खातिर
हमने जान गंवाई थी?

मांग रहा था देश ख़ून जब
किसने प्यास बुझाई थी?
देश के वीरों ने हँस-हँसकर
काहे फाँसी खाई थी !

देश की खातिर मर मिटने की,
कसमें खूब निभाई थी।
भारतवासी मिटे हजारों
तब आज़ादी आई थी!

- रोहित कुमार 'हैप्पी'
  न्यूज़ीलैंड।

 

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