उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
आँख पर पट्टी रहे | ग़ज़ल (काव्य)    Print this  
Author:अदम गोंडवी

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे
अपने शाह-ए-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे

देखने को दे उन्हें अल्लाह कंप्यूटर की आँख
सोचने को कोई बाबा बाल्टीवाला रहे

तालिब-ए-शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे
आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे

एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए
चार छह चमचे रहें माइक रहे माला रहे

- अदम गोंडवी

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