शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।
बात न्यू मीडिया से संबंधित कुछ अटपटे प्रश्न (विविध)    Print this  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

न्यू मीडिया शिक्षक

दो रोज पहले एक न्यू मीडिया के लैक्चरर साहब को मैंने सम्पर्क किया उनके फेसबुक के संदेश के जरिये - मैंने इसमें अपनी वेब साइट का परिचय भी उन्हें दिया। उनका फोन आया, मुझे प्रसन्नता हुई लेकिन उनका प्रश्न यह था कि 'आपकी पत्रिका का ई-मेल क्या है?'  मैं न्यू मीडिया पढ़ाने वाले किसी शिक्षक की बात कर रहा हूँ। वेब साइट पर तो अधिकतर ई-मेल या सम्पर्क सूत्र दिया होता है?  फिर, न्यू मीडिया का एक शिक्षक ऐसा प्रश्न करे तो अचरज होता है।


एक ब्लॉगर का प्रश्न

अब एक संस्था की अधिकारी ई-मेल से पूछ रहीं है कि आपका ई-मेल ( editor@bharatdarshan.co.nz ) तो है पर आपकी वेबसाइट के बारे में बताएं?  ये महिला किसी ब्लाग समूह की अध्यक्षा भी हैं।  यदि आप वेब या इंटरनेट पर काम करते हैं तो आपको यह पता होगा कि किसी भी संस्था, पत्र, पत्रिका की ई-मेल में  @ के पश्चात का हिस्सा उनकी वेब साइट होता है जैसे feedback@amarujala.com  में amarujala.com उनकी वेब साइट है। इसे आप अपने 'ब्राउसर के ऐड्रेस बार' में पेस्ट करें तो साइट देख सकते हैं।  यदि हम पत्रकारिता करते है, वेब पर काम करते हैं या न्यू मीडिया से जुड़े हुए हैं, तो हमें इस तरह की सामान्य जानकारी होनी ही चाहिए।

 


'लाइक' का चलन

फेसबुक पर 'लाइक' करने का ऐसा चलन है कि एक पत्रकार की हत्या पर कुछ सैंकड़ो 'लाइक थे।' क्या हम उस दर्दनाक छायाचित्र को पसंद कर रहे हैं?

चलन यह भी है कि आप मुझको 'लाइक' करो मैं 'आपको'।

 

आपका डोमेन और आपकी ई-मेल

यदि आपका अपना डोमेन है जैस www.bharatdarshan.co.nz  या www.kahatkabir.com  तो आप अपने डोमेन वाली ई-मेल ही उपयोग करें चूंकि यदि आप अन्य ई-मेल का प्रयोग कर रहे हैं तो आप नाहक ही hotmail.com, yahoo.com, gmail.com इत्यादि का प्रचार कर रहे हैं जबकि आप अपने डोमेन को अपनी ई-मेल द्वारा परिचित और प्रचारित कर सकते हैं।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

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