मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
वन्देमातरम्  (काव्य)    Print this  
Author:भारत-दर्शन संकलन | Collections

'वन्‍देमातरम्' बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचा गया; यह स्‍वतंत्रता की लड़ाई में भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। इसका स्‍थान हमारे राष्ट्र गान, 'जन गण मन...' के बराबर है। इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्‍ट्रीय काँग्रेस के सत्र में गाया गया था।

'वंदे मातरम्' से लोग इतने प्रेरित हुए कि अनेक कवियों व गीतकारों ने इसके अनेक संस्करण रच डाले।

यहाँ राष्ट्रीय भावों व देश प्रेम से ओत-प्रोत वन्देमातरम् के विभिन्न संस्करण भारत-दर्शन में संगृहित किये गये हैं।

 

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