उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
बिला वजह आँखों के कोर भिगोना क्या | ग़ज़ल (काव्य)    Print this  
Author:डॉ शम्भुनाथ तिवारी

बिला वजह आँखों के कोर भिगोना क्या
अपनी नाकामी का रोना रोना क्या

बेहतर है कि समझें नब्ज़ ज़माने की
वक़्त गया फिर पछताने से होना क्या

भाईचारा -प्यार मुहब्बत नहीं अगर
तब रिश्ते नातों को लेकर ढोना क्या

जिसने जान लिया की दुनिया फ़ानी है
उसे फूल या काटों भरा बिछौना क्या

क़ातिल को भी क़ातिल लोग नहीं कहते
ऐसे लोगों का भी होना होना क्या

मज़हब ही जिसकी दरवेश- फक़ीरी है
उसकी नज़रों में क्या मिट्टी सोना क्या

जहाँ न कोई भी अपना हमदर्द मिले
उस नगरी में रोकर आँखें खोना क्या

मुफ़लिस जिसे बनाकर छोड़ा गर्दिश ने
उस बेचारे का जगना भी सोना क्या

फिक्र जिसे लग जाती उसकी मत पूछो
उसको जंतर-मंतर जादू- टोना क्या

#


- डॉ. शम्भुनाथ तिवारी
प्रोफेसर
हिंदी विभाग,
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी,
अलीगढ़(भारत)
ई-मेल: sn.tiwari09@gmail.com

 

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश