उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
प्यार भरी बोली | होली हास्य कविता (काव्य)    Print this  
Author:जैमिनी हरियाणवी | Jaimini Hariyanavi

होली पर हास्य-कवि जैमिनी हरियाणवी की कविता

होली के दिन ये क्या ठिठोली है
छुट्टी अपनी तो आज हो ली है
देह बन्दूक सी दिखे तेरी
और चितवन ज्यूँ लगे गोली है।
एक बिल्ली-सी आँख खोली है
एक बकरी-सी बोले बोली है
मर्खनी भैंस सी अदा तेरी
छुट्टी अपनी तो आज हो ली है

#

बीच सड़कों पे मस्त टोली है
सबकी बस प्यार भरी बोली है
चूम बुढ़िया को बूढ़ा यूँ बोला-
'आज होली है, आज होली है'।

- जैमिनी हरियाणवी


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