शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।
इसलिए तनहा खड़ा है (काव्य)    Print this  
Author:राजगोपाल सिंह

इसलिए तनहा खड़ा है
है अभी उसमें अना है

बिन बिके जो लिख रहा है
हममें वो सबसे बड़ा है

भीड़ से बिल्कुल अलग है
आज भी वो सोचता है

ख़ून दौड़े है रग़ों में
जब कभी वो बोलता है

कल उसी पर शोध होंगे
आज जो अज्ञात-सा है

-राजगोपाल सिंह

 

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