मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
रामायण में निहित वित्तीय साक्षरता के कुछ संदेश | आलेख  (विविध)    Print this  
Author:डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड | न्यूज़ीलैंड

वित्तीय साक्षरता एक ऐसा विषय है जो लोगों में अलग-अलग तरह की भावनाएं जगा देता है और फिर शुरू हो जाती है या तो खर्चो का स्पष्टीकरण या पैसों की कमी का दुःख। पिछले दो दशकों से इसी क्षेत्र में काम करते-करते मैंने बहुत कुछ देखा और सुना है। कुछ उसके आधार पर और कुछ अपने धार्मिक ग्रंथों को खोजने पर सोचा कि क्यों ना हमारे धार्मिक ग्रंथों में छुपे ज्ञान को वित्तीय साक्षरता के साथ जोड़ा जाए। यह लेख उसी प्रयास की एक झलक है।

अपने जीवन को सुरक्षित बनाएं
ना तो आप लक्ष्मण हैं, और ना ही आपके लिए संजीवनी लाने वाला कोई हनुमान आने वाला है...इसलिए जरूरी है कि आप आज से ही अपने स्वास्थ्य और जीवन की जिम्मेदारी लेना शुरू कर दें। ऐसा आप अपनी जीवन-शैली में बदलाव लाकर, अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देकर और बीमा पालिसी के बारे में खोजबीन करके अपने लिए एक उपयुक्त पॉलिसी खरीद करके कर सकते हैं – अपने और अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित बनाने की ओर कुछ कदम उठा कर।

आत्म-संयम का अभ्यास करें - अपना बजट तैयार करें
अगर आप भी उनमें से एक हैं जो पैसा सामने हो तो दिल खोल कर खर्च करते हैं और नहीं होने पर तंगी का सामना करते हैं तो रुक कर 2-3 गहरी सांसें ले और स्वयं से निम्न प्रश्न पूछें– 
• क्या मुझे अपनी आमदनी और खर्चे का पूरा ज्ञान है? 
• क्या मुझे पता है कि घर की किस चीज पर कितना पैसा खर्च होता है?
• क्या मैंने अपने खर्चे को लेकर कुछ सीमाएं निर्धारित की हैं?

यदि ऊपर दिए प्रश्नों का उत्तर आपने हाँ में दिया है तो सबसे पहला काम तो आपको यह करना होगा कि आपको अपना बजट निर्धारित करना होगा और उसमें अपने खर्चे के आसपास एक "लक्ष्मण रेखा" खींचनी होगी। इससे आपको अपने खर्चे को लेकर आत्म-संयम में सहायता मिलेगी और ऑनलाइन शॉपिंग या भारी छूट का लालच आपके कदम डगमगाने नहीं देगा। आपकी वित्तीय साक्षरता जरूरत और चाहत के बीच के अंतर को समझने में आपकी सहायक होगी और अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर आपमें अनुशासन की भावना को जीवित रखेगी। 

आकस्मिकता निधि
आपको अपनी दादी-नानी की पुरानी सीख तो याद ही होगी – अगर आपके रोटी के डिब्बे में सिर्फ दो ही रोटी बची हैं तो एक कल के लिए जरूर संभाल कर रखना। क्या पता कब जरूरत पड़ जाए या कोई मेहमान आ जाए। आजकल इसी पुरानी सीख को हम वित्तीय साक्षरता की भाषा में आकस्मिकता निधि या अप्रत्याशित जरूरत के लिए निधि कहते हैं। अब आप भगवान राम का ही उदाहरण लीजिए – उन्हें अचानक ही 14 वर्षों के लिए 'वनवास' के लिए भेजा गया और उन्हें अपने आलीशान महल को छोड़ कर अनजानी और अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना करने को मजबूर होना पड़ा। 

आपकी जीवनशैली में अचानक आए बदलावों के लिए आपको सदा तैयार रहना चाहिए क्योंकि क्या पता कब और किस कोने से आपके लिए चुनौतियां प्रस्तुत हो जाएं। भले ही आपको उन चुनौतियों की रूपरेखा, उनका आकार, गंभीरता या समय का ज्ञान न हो परन्तु यदि आप तैयार हैं तो आप उनका सामना कर सकेंगे। हाँ, हो सकता है आपको फिर भी कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़े परन्तु आपसे पास कम से कम उनका सामना करने की योजना तो है। आपकी यही योजना (आकस्मिक निधि) बुरे समय में आपका साथ देगी।

धैर्य रखें / लंबे समय की योजना बना कर रखें

'धीरे-धीरे रे मना, धीरा सब कुछ होय
माली सींचे सौ घड़ा, रितु आए फल होय।' 

बुजुर्गों का कहना है कि मनुष्य का सबसे बड़ा गुण होता है उसके धैर्य की क्षमता। इसलिए आर्थिक रूप से सक्षम और आत्म-निर्भर होने के लिए लगातार और धैर्यपूर्वक काम करने की आवश्यकता है। एक बार के लिए पैसा कमाना आसान हो सकता है लेकिन उसे संभाल कर रखना और उसका सही उपयोग करना उतना ही कठिन। जीवन के उतार-चढ़ावों में शॉर्टकट चुनने की अपेक्षा धैर्यपूर्वक स्थिति का सामना करने से ही आप अपने लक्ष्य तक पहुँच पायेंगे। अगर अमीर बनने का कोई शॉर्टकट (छोटा रास्ता) होता तो दुनिया अमीरों से भरी होती। 

अपने सलाहकारों को बुद्धिमानी से चुनें
कभी-कभी लालच यानी रातोंरात अमीर बनने का हमारा सपना हमें ऐसे निर्णय लेने को प्रेरित कर देता है जिन्हें अगर हम ठंडे दिमाग से सोचते तो कभी वह निर्णय नहीं लेते। इसीलिए तो कहा जाता है कि अपने सलाहकारों को ध्यान से चुनें। कभी-कभी सही समय पर दी गई गलत सलाह भी उतनी ही हानिकारक सिद्ध हो सकती है जितनी कि गलत समय पर दी गई सही सलाह। अब आप रामायण का ही उदाहरण लें – महाराजा दशरथ की एक रानी कैकेयी ने अपनी सलाहकार के रूप में मंथरा का चुनाव किया। जिसका परिणाम कई प्रकार से हानिकारक सिद्ध हुआ। 

इसी प्रकार वित्तीय, निवेश अथवा बीमा संबंधी सलाह के लिए सलाहकार का चुनाव करते समय उसकी क्षमता और पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। आकर्षक ऑफ़र, छूट और जल्द अमीर बनाने वाली योजनाओं को बेचने की कोशिश करने वालों से दूरी बनाए रखने में ही भलाई है जो कभी-कभी अपने लाभ के लिए सलाहकार और प्रशिक्षक के रूप में छिपे हो सकते हैं।

भविष्य के लिए एक कोष का निर्माण करें
किसी भी देश की आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव आना स्वाभाविक है क्योंकि सभी देश काफी सीमा तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एक-दूसरे से प्रभावित होते रहते हैं विशेषकर आर्थिक उतार-चढ़ाव से। मुद्रास्फीति का सामना करने के लिए कोष का निर्माण करने, समझदारी से निवेश करने और धैर्य से सही अवसर की प्रतीक्षा बहुत जरूरी है।

धन-संबंधी निर्णयों में अनुशासन का पालन करें
भगवान राम ने जीवन में सही निर्णय लेने, जिम्मेदार और अनुशासित व्यवहार का पालन करने के लिए अपने क्षत्रिय "धर्म" का पालन किया। अपने जीवन का पालन कुछ मूल सिद्धांतों पर आधारित करके चलें। विवेक पूर्ण तरीके से बचत करें, सावधानी से खर्च करें और अनुशासित वित्तीय जीवन के लिए बुद्धिमानी से निवेश करें।

अपने अतीत के गलत निर्णयों से सीख ले कर आगे बढ़ें
स्वयं को नियमित रूप से याद दिलाते रहें कि अगर अच्छे दिन नहीं रहे तो बुरे दिन भी नहीं रहेंगे। इसी तरह, अतीत में आपके द्वारा लिएए गए बुरे निर्णयों से सीख लें, उन्हें भूल जाएं और अपनी वित्तीय यात्रा को सुव्यवस्थित करने के लिए पूरी जानकारी पर विचार करने के बाद ही निर्णय लें। याद रहे कि धन के मामलों में जानकारी और ज्ञान, सही निर्णय के लिए ईपके सबसे बड़े औजार हैं।

अपने कर्मों में विश्वास रखें
मेरा बचपन श्री मद् भागवत गीता में दिए गए एक श्लोक को सुनते हुए बीता है – जैसे-जैसे कर्म करेगा, वैसे फल देगा भगवान। अतः याद रखें कि अपने द्वारा लिए गए निर्णयों की जिम्मेदारी आप किसी और पर नहीं थोप सकते।
     
हमारा काम है धन कमाना, उसे सही तरीके से खर्च करना और बुरे समय के लिए थोड़ा सा बचा कर रखना। बस बुजुर्गों की एक बात जरूर ध्यान में रखें – अगर आप लक्ष्मी माता यानी पैसे का आदर करेंगे तो ये दोनों भी जल्दी से आपका साथ नहीं छोड़ेंगे, आपके कर्मों का फल अवश्य आपको देकर रहेंगे।


 -डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड
   न्यूज़ीलैंड

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