मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
मुस्कान (काव्य)    Print this  
Author:डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड | न्यूज़ीलैंड

उन्होंने कहा-- 
तुम्हारी मुस्कान में
एक जादू है।
बहुत ही प्यारी और निश्छल है।

हमने कहा नहीं--
तुम क्या जानो
इसके पीछे का दर्द! 

वे बोले--
तुम्हारी आँखों की गहराई 
मन को मोह लेने वाली है।

हम हँसे पर बोले नहीं-- 
इस गहराई के पीछे 
छुपे द्वंद्व को
पहचान पाओगे तुम? 

पहचानते तो 
समझ जाते 
पूरा व्यक्तित्व
खुद-ब-खुद।  

 -डॉ.पुष्पा भारद्वाज-वुड
   न्यूज़ीलैंड

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