साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।
दीदी को बतलाऊंगी मैं | बाल कविता (बाल-साहित्य )    Print this  
Author:दिविक रमेश

बड़ी हो गई अब यह छोड़ो
नानी गाय, कबूतर उल्लू
अरे चलाती मैं कम्प्यूटर
मत कहना अब मुझको लल्लू ।

छोटे स्कूल नहीं  अब जाना
बड़े स्कूल अब जाऊंगी मैं
पापा-मम्मी नहीं रोकना
साइकिल भी चलाऊंगी मैं ।

बड़ा मज़ा आएगा 'वाव'
पानी-पूरी खाऊंगी मैं
नहीं लगेगी अब तो मिर्ची
दीदी को बतलाऊंगी मैं । 

-दिविक रमेश
[छुट्कल मुट्कल बाल कविताएं]

[Children's Hindi Poems by Divik Ramesh]

Previous Page  |  Index Page
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश