मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
सिलेंडर (कथा-कहानी)    Print this  
Author:गिरीश पंकज

भयानक महामारी के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर की ज़रूरत पड़ रही थी। आपदा को कमाई का ज़बरदस्त अवसर समझ कर उसने निर्धारित दर से तीन-चार गुना अधिक कीमत में सिलेंडर बेचना शुरू कर दिया। हालत यह हो गई कि दुकान का अंतिम सिलेंडर भी उसने तगड़ी कीमत पर बेच डाला और बहुत प्रसन्न हुआ। मगर अचानक सिलेंडर भरवाने का काम रुक गया क्योंकि ऑक्सीजन की आपूर्ति ही नहीं हो पा रही थी । तभी उसे पता चला कि उसकी माँ संक्रमित हो गई और उन्हें ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है। लेकिन अब बेटे के पास सिलेंडर ही नहीं था। उसने यहां-वहां संपर्क किया। मनचाही कीमत भी देनी चाही, लेकिन व्यवस्था न हो सकी।

आखिर उसकी माँ.....

-गिरीश पंकज
 
ईमेल : girishpankaj1@gmail.com

 

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