हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है। - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह।
तुम' से 'आप' (काव्य)    Print this  
Author:अशोक चक्रधर | Ashok Chakradhar

तुम भी जल थे
हम भी जल थे
इतने घुले-मिले थे कि
एक-दूसरे से जलते न थे।
न तुम खल थे
न हम खल थे
इतने खुले-खिले थे कि
एक-दूसरे को खलते न थे।
अचानक तुम हमसे जलने लगे
तो हम तुम्हें खलने लगे।
तुम जल से भाप हो गए,
और 'तुम' से 'आप' हो गए।

- अशोक चक्रधर
[ निकष परिचय से ]

 

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