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बड़ी नाज़ुक है डोरी साँस की यह कहीं टूटी तो बाकी क्या रहेगा
रखो तुम बंद चाहे अपनी घड़ियां समय तो रात दिन चलता रहेगा
न जाने क्यों हमें यह लग रहा है हमारे बाद सन्नाटा रहेगा
वृथा है आज, कल की फिक्र 'राणा' जो कुछ होना है वह होता रहेगा
-डॉ राणा प्रताप सिंह 'राणा' गन्नौरी
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