मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।

चिड़िया की हेल्थ (बाल-साहित्य )

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Author: डॉ अनुपमा गुप्ता

चिड़िया रानी-चिड़िया रानी
कैसे ऊँची उड़ जाती हो
लंच-डिनर में क्या खाती हो?
हमको नहीं बताती हो।


छोटे-छोटे बीज चबाऊँ
रूखे-सूखे कीड़े
मुझको भाते तनिक नहीं हैं
मैगी,चाट,पकौड़े।


हरी-हरी सब्ज़ी खाऊँगा
अच्छी बात बताती हो।
लंच-डिनर में- - -


सुबह-शाम मेहनत करती हूँ
श्रम से तनिक नहीं डरती हूँ
तिनका-तिनका नीड़ बनाती
बच्चे भी पाला करती हूँ।


सुबह-शाम तुम जिम को जाती
सीक्रेट नहीं बताती हो।
लंच-डिनर- -


भोलू राजा, भोले हो तुम
मेहनत ज़रा न करते हो तुम
तले पकौड़े तुम नित खाते
फ़ास्ट-फ़ूड पर मरते हो तुम
काम बहुत मुझको करने हैं
फिर मिलने, उड़ जाती हूँ मैं।
लंच-डिनर- -


आखिरी आन्सर देती जाओ
कैसे तुम सुंदरता पाओ
चटकीले हैं रंग तुम्हारे
कैसे तुम नित निखरी जाओ?
हमें बताओ, नहीं छुपाओ
ब्यूटी-पार्लर जाती हो तुम?


भोलू राजा बुद्धू हो तुम
बात समझ न आती है----!

- डॉ अनुपमा गुप्ता
ई-मेल: [email protected]

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