जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।

घोटाला  (काव्य)

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Author: गौरीशंकर मधुकर

पिछले साल
करोड़ों का हुआ घोटाला
घोटाले में फंस गया
मंत्री जी का साला
विपक्ष ने भी
इस मामले को खूब उछाला
तब मंत्रीजी ने
सरल-सुगम रास्ता निकाला
विपक्षी दल के नेता के पुत्र से
करवा दी साली की सगाई
इसलिए सच्चाई आज तक
सामने नहीं आई
कोई क्या के लेगा
इनका जब
हैं, चोर-चोर सभी मौसेरे भाई।

- गौरीशंकर मधुकर
  सुकीर्ति प्रकाशन

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