मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।

हिंदी | लघु-कथा (कथा-कहानी)

Print this

Author: रोहित कुमार 'हैप्पी'

हिंदी का एक साहित्य-सम्मेलन चल रहा था। सम्मेलन जहाँ आयोजित किया गया था उस भवन के प्रांगण में मेज़ पर एक पंजीकरण-पुस्तिका रखी थी। सम्मेलन में सम्मिलित होने वाले सभी साहित्यकारों को इस पुस्तिका में हस्ताक्षर करने थे।

मैं भी पंक्ति में खड़ा था। अपनी बारी आने पर मैं हस्ताक्षर करने लगा तो पुस्तिका में दर्ज सैकड़ों हिंदी कवियों, लेखकों व साहित्यकारों के हस्ताक्षरों पर मेरी दृष्टि पड़ी - कहीं एक-आध हस्ताक्षर ही हिंदी में दिखाई दिया। हिंदी में रचना करने वाले कवियों, लेखकों व साहित्यकारों का यह कर्म मेरी समझ से परे था। हिंदी का साहित्य-सम्मेलन !

-रोहित कुमार 'हैप्पी'

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश