समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है। - जनार्दनप्रसाद झा 'द्विज'।

नव वर्ष 2021 (काव्य)

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Author: राजीव कुमार गुप्ता

नव उमंग नव कलरव ध्वनि से
नए साल का हो सत्कार
मृदु राग मृदु करतल ध्वनि से
गुंजित हो सारा संसार।

सुरभित उपवन सा हो जीवन
नवल कंठ का हो संचार
नूतन वर्ष करें जन जन का
नव पल्लव पुलकित श्रृंगार।

कठिन दौर से भरा वर्ष अब
अवसान की ओर खड़ा है
तिमिर की घनघोर घटा अब
अंतिम रण की ओर खड़ा है।

सिखा गया यह वर्ष सभी को
संघर्षों में जीवन जीना
विपदा के तूफ़ानों में भी
तृण के सोपानों पर चढ़ना।

सन् 20 (2020) को विदा करें
अपने हृदय के अंतरमन से
सन् 21 (2021) का अभिवादन हो
नव संकल्पों के सिंचन से।

सबका शुभ हो सबका मंगल
न‌ए वर्ष का हो आरंभ
यही दुआ है सबका होवे
मृदु-मय जीवन का प्रारंभ।

-राजीव कुमार गुप्ता
ई-मेल: guptark560@gmail.com

 

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