समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है। - जनार्दनप्रसाद झा 'द्विज'।

प्रदूषण का नाम प्लास्टिक (काव्य)

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Author: कुमार जितेन्द्र "जीत"

धरा पर ढेर लग रहे हैं, प्लास्टिक से
कृत्रिम पहाड़ बन रहे हैं , प्लास्टिक से

जहरीले तत्व फैल रहे हैं, प्लास्टिक से
स्वच्छ धरा प्रदूषित हुई है,प्लास्टिक से

शहरों की नालियां भरी हैं, प्लास्टिक से
गांवो की गलियां भरी हैं, प्लास्टिक से

पशुओं के पेट भर गए हैं,प्लास्टिक से
पशु बे मौत मर रहे हैं , प्लास्टिक से

नदियों के किनारे ढके हैं ,प्लास्टिक से
नदियों के रास्ते अवरोध हैं ,प्लास्टिक से

पशुओं का जीवन बचाओ,प्लास्टिक से
नदियों का जल बचाओ , प्लास्टिक से

कुमार जितेन्द्र "जीत"
साईं निवास मोकलसर, तहसील - सिवाना, जिला - बाड़मेर, राजस्थान
मोबाइल : 9784853785
ई-मेल : Jitendra.jb.505@gmail.com

 

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