शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।

चार हाइकु  (काव्य)

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Author: तपेश

जूते ठाट के -
जैसे बड़े लाट के,
आज के राजे।

झूठ, सफ़ेद -
हो या कि कजरारे ,
वारे ही न्यारे!

ऊंचे मकान,
लगते बियवान!
लोग नहीं हैं !!

बर्दी बेदर्दी,
कहर बरपाए,
हद कर दी।

- तपेश
ई-मेल: tapeshbhowmick@gmail.com

 

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