उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
हिंदी हम सबकी परिभाषा (काव्य)  Click to print this content  
Author:डा० लक्ष्मीमल्ल सिंघवी

कोटि-कोटि कंठों की भाषा,
जनगण की मुखरित अभिलाषा,
हिंदी है पहचान हमारी,
हिंदी हम सबकी परिभाषा।

आज़ादी के दीप्त भाल की,
बहुभाषी वसुधा विशाल की,
सहृदयता के एक सूत्र में,
यह परिभाषा देश-काल की।

निज भाषा जो स्वाभिमान को,
आम आदमी की जुबान को,
मानव गरिमा के विहान को,
अर्थ दे रही संविधान को।

हिंदी आज चाहती हमसे-
हम सब निश्छल अंतस्तल से,
सहज विनम्र अथक यत्नों से,
मांगे न्याय आज से, कल से।

कोटि-कोटि कंठों की भाषा,
जनगण की मुखरित अभिलाषा,
हिंदी है पहचान हमारी,
हिंदी हम सबकी परिभाषा।

-डा० लक्ष्मीमल्ल सिंघवी

 

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