साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।
संबंधी (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:डॉ प्रेमनारायण टंडन

एक धनी के मकान में आग लग गयी। घरवाले किसी तरह जरूरी सामान के साथ अपने प्राण लेकर जब बाहर आये तब पता चला कि एक बालक अभी घर में ही रह गया है। तब तक आग ने भयंकर रूप धारण कर लिया था इसलिए किसी को सूझ न पड़ा कि बच्चे को कैसे बचाया जाए।

तभी बहन ने रोते हुए कहा-- "जो कोई मेरे भाई को बचा लाएगा, उसे एक हजार रुपया इनाम दिया जाएगा।"

जब भीड़ में से कोई न हिला तब बड़े भाई ने रोते-रोते कहा--- "जो कोई मेरे भाई को बचा लायगा, उसे पाँच हजार इनाम दिया जाएगा।"

इस पर भी जब भीड़ में कोई हलचल न हुई तो बहुत घबराकर पिता ने कहा-- "जो कोई मेरे बेटे को बचा लायगा, उसे दस हजार रुपया इनाम दिया जाएगा।"

इसी बीच एक बुढ़िया आग की लपटों को चीर कर मकान के मीतर जा चुकी थी। पिता की बात खत्म होते होते वह बालक को लिये दरवाजे से बाहर आयी। आग की लपटों में वह इस तरह झुलस गयीं थी कि द्वार के बाहर आते ही चक्कर खाकर गिर पड़ी। बालक उसकी पीठ पर बंधा होने से सुरक्षित रहा।

भीड़ के लोगों में से कुछ ने बुढ़िया के साहस की प्रशंसा की और कुछ ने कहा-- "इनाम के लालच में बुढ़िया ने अपने प्राण दे दिये।"

तभी पता चला कि वह उस बालक की धाय थी जिसने माता के मरने पर उसे कुछ दिन दूध पिलाया था।

-डॉ प्रेमनारायण टंडन

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश