साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।
कुछ मुक्तक  (काव्य)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

सभी को इस ज़माने में सभी हासिल नहीं मिलता
नदी की हर लहर को तो सदा साहिल नहीं मिलता
ये दिलवालो की दुनिया है अजब है दास्तां इसकी
कोई दिल से नहीं मिलता, किसी से दिल नहीं मिलता

-श्रवण राही

प्यार की तमन्ना नहीं थी, हो गया, 
दिल संभाल कर रखा था, खो गया। 
किस्सा किसी और का नहीं, ये आपबीती है, 
हार फूलों का था, कोई आँसू पिरो गया। 

-शारदा कृष्ण 

हर किसी से रस्मो राह रखता हूं,
दिल में बुलंदियों की चाह रखता हूं,
डगमगा ना जाऊं ज़माने को देख कर 
इसलिए खुद पर निगाह रखता हूं।

-ताराचन्द पाल बेकल

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