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सारे चूहों ने मिल-जुलकरएक बनाया दही-बड़ा। सत्तर किलो दही मँगायाफिर छुड़वाया दही-बड़ा॥
दिन भर रहा दही के अंदरबहुत बड़ा वह दही-बड़ा।फिर चूहों ने उसे उठाकरदरवाज़े से किया खड़ा॥
रात और दिन दही-बड़ा हीअब सब चूहे खाते हैं। मौज मनाते गाना गातेकहीं न घर से जाते हैं॥
- श्रीप्रसाद
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