उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
वीर सपूत (काव्य)  Click to print this content  
Author:रवीन्द्र भारती | देशभक्ति कविता

गंगा बड़ी है हिमालय बड़ा है
तुम बड़े हो या धरती बड़ी है
तुम सरहदों पर रात दिन
जल रहे मशाल हो

तुम इस मुल्क की आँखें हो--
हाथ हो, पर हो
तुम सजग हो इसलिए देश को गुमान है
तुम पर है नाज मुल्क को, तुम पर ही शान है

तुम जगे कि दिल में तिरंगा फहर उठा
तुम उठे कि काल भी हुंकार कर उठा
तुम चले कि आंधियों का भाल झुक गया
तुम लड़े कि दुश्मनों का नाम मिट गया

तुम पर है नाज मुल्क को तुम पर ही शान है
तुम सजग हो इसलिए देश को गुमान है

--रवीन्द्र भारती

 

Previous Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश