हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है। - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह।
कफ़न | शेखचिल्ली (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

एक जगह कुछ लोग इकट्ठे बैठे थे। शेखचिल्ली भी उन्हीं के साथ बैठा था। कस्बे के कुछ समझदार लोग और हकीम दुर्घटनाओं से बचने के उपायों पर विचार-विमर्श कर रहे थे। किस दुर्घटना पर कौन-सी प्राथमिक चिकित्सा होनी चाहिए, इस पर विचार किया जा रहा था।

थोड़ी देर में हकीम साहब ने वहां बैठे सभी लोगों से पूछा, "किसी के डूब जाने पर पेट में पानी भर जाए और सांस रुक जाए तो तुम क्या करोगे?" सब चुप थे।

हकीम जी के अन्य साथी बोले, "तुम बोलो शेखचिल्ली, किसी के डूबने पर उसकी सांस रुक जाए तो सबसे पहले तुम क्या करोगे?"

"उसके लिए सबसे पहले कफ़न लाऊंगा। फिर कब्र खोदने वाले को बुलाऊंगा। " शेखचिल्ली ने जवाब दिया।

[भारत-दर्शन संकलन]

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