जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।

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आंकड़े बोलते हैं - इन पृष्ठों में उन तथ्यों को उपलब्ध करवाया जाएगा जो जनहित में हैं और अन्यत्र सरल सुलभ नहीं।

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