साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।
हमें हिंदी से प्यार है (विविध)    Print  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड
 

हिंदी से प्यार है?

अभी कुछ मित्रों ने 'हिंदी से प्यार है' नामक एक समूह की स्थापना की है। अच्छा विचार है। उनकी कई योजनाएँ हैं। आप भी जुड़ना चाहें तो जुड़ सकते हैं। 'भारत-दर्शन' से तो आप जुड़े ही हुए हैं। आपके स्नेह के लिए आभार। 

दादू कह गए-- 

आसिक मासूक ह्वै गया, इसक कहावै सोइ। 
दादू उस मासूक का, अल्लहि आसिक होइ॥ 

जब प्रेमी और प्रेमिका एक रूप हो जाते हैं, तो वह सच्चा इश्क़ कहलाता है। इस अद्वैत की स्थिति में स्वयं ईश्वर उसके प्रेमी और विरहिणी प्रेमिका बन जाते हैं।  दादू की साखी हिंदी के संदर्भ में लागू करें तो इसका सीधा-सादा अर्थ हुआ, आप जब प्रेम दीवाने हो जाएंगे तो आप नहीं, दुनिया कहेगी, 'इन्हें हिंदी से प्यार है।' 

- रोहित कुमार हैप्पी

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