शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।
बचपन से दूर हुए हम (बाल-साहित्य )    Print  
Author:डॉ. जगदीश व्योम
 

छीनकर खिलौनो को बाँट दिये गम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम

अच्छी तरह से अभी पढ़ना न आया
कपड़ों को अपने बदलना न आया
लाद दिए बस्ते हैं भारी-भरकम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम

अँग्रेजी शब्दों का पढ़ना-पढ़ाना
घर आकर, दिया हुआ काम निबटाना
होमवर्क करने में निकल जाय दम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम

देकर के थपकी न माँ मुझे सुलाती
दादी भी अब नहीं कहानियाँ सुनाती
बिलख रही कैद बनी‚ जीवन सरगम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम

इतने कठिन विषय कि छूटे पसीना
रात भर किताबों को घोट-घोट पीना
उस पर भी नम्बर आते हैं बहुत कम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम

-डा० जगदीश व्योम

Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश