उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
फ़ादर बुल्के तुम्हें प्रणाम (काव्य)    Print  
Author:हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan
 

फ़ादर बुल्के तुम्हें प्रणाम!
जन्मे और पले योरुप में
पर तुमको प्रिय भारत धाम
फ़ादर बुल्के तुम्हें प्रणाम!

रही मातृभाषा योरुप की
बोली हिन्दी लगी ललाम
फ़ादर बुल्के तुम्हें प्रणाम!

ईसाई संस्कार लिए भी
पूज्य हुए तुमको श्रीराम
फ़ादर बुल्के तुम्हें प्रणाम!

तुलसी होते तुम्हें पगतरी
के हित देते अपना चाम
फ़ादर बुल्के तुम्हें प्रणाम!

सदा सहज श्रद्धा से लेगा
मेरा देश तुम्हारा नाम
फ़ादर बुल्के तुम्हें प्रणाम!

-हरिवंशराय बच्चन

 

Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश