उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।
यदि देश के हित मरना पड़े (काव्य)    Print  
Author:रामप्रसाद बिस्मिल
 

यदि देश के हित मरना पड़े, मुझको सहस्त्रों बार भी,
तो भी न मैं इस कष्ट को, निज ध्यान में लाऊं कभी।
हे ईश! भारतवर्ष में, शत बार मेरा जन्म हो,
कारण सदा ही मृत्यु का, देशोपकारक कर्म हो॥

मरते 'बिस्मिल' रोशन, लाहिड़ी, अशफाक अत्याचार से,
होंगे पैदा सैंकड़ों, उनके रुधिर की धार से॥
उनके प्रबल उद्योग से, उद्धार होगा देश का,
तब नाश होगा सर्वदा, दुख शोक के लव लेश का॥

- रामप्रसाद बिस्मिल
[शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की स्वरचित रचनाएँ]

 

Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश