साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।
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Author:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | Bharatendu Harishchandra
 

एक अमीर से किसी फकीर ने पैसा मांगा। उस अमीर ने फकीर से कहा, "तुम पैसों के बदले लोगों से लियाकत चाहते तो कैसे लायक आदमी हो गये होते।"

फकीर चटपट बोला, "मैं जिसके पास जो कुछ देखता हूँ, वही उससे मांगता हूँ।"

- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

 

 

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