साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।
सच्चा घोड़ा (विविध)    Print  
Author:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | Bharatendu Harishchandra
 

एक सौदागर किसी रईस के पास एक घोड़ा बेचने को लाया और बार-बार उसकी तारीफ में कहता, "हुजूर, यह जानवर गजब का सच्चा है।"

रईस साहब ने घोड़े को खरीद कर सौदागर से पूछा कि, "घोड़े के सच्चे होने से तुम्हारा मतलब क्या है?"

सौदागर ने जवाब दिया, "हुजूर, जब कभी मैं इस घोड़े पर सवार हुआ, इसने हमेशा गिराने का खौफ दिलाया, और सचमुच, इसने आज तक कभी झूठी धमकी न दी।"

- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

 

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