साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।
अद्भुत संवाद (विविध)    Print  
Author:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | Bharatendu Harishchandra
 

"ए, जरा हमारा घोड़ा तो पकड़े रहो।"
"यह कूदेगा तो नहीं?"
"कूदेगा! भला कूदेगा क्यों? लो संभालो। "
"यह काटता है?"
"नहीं काटेगा, लगाम पकड़े रहो।"
"क्या इसे दो आदमी पकड़ते हैं तब सम्हलता है?"
"नहीं !"
"फिर हमें क्यों तकलीफ देते हैं? आप तो हई हैं।"

- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

 

Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश