हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है। - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह।
कर्तव्यबोध (कथा-कहानी)    Print  
Author:शरद जोशी | Sharad Joshi
 

दोपहर के ढाई बज रहे थे।

अभिमन्यु ने धीरे से घर का दरवाजा खटखटाया। उत्तरा ने दरवाजा खोला।

"हाय तुम इस वक्त कैसे? तुम्हें तो अभी चक्रव्यूह में फंसा होना चाहिए था।" उत्तरा ने उसे देख आश्चर्य से कहा।

"अभिमन्यु ने ऑंख मारी और धीरे से कहा, "थोड़ी मार कर आया हूँ ।"

- शरद जोशी

 

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